अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई

अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!
छुपा शर्म से मुंह, वो प्रकाश पुंज चला गया!
और फैला हाथ मैं, शशि-शांत चली आयी!!
वो कर गए अँधियारा जहाँ, तमाम मेरा......
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!

राग मल्हारें मैं क्या जानू भला....
क्या दूँ जीवन-संगीत दुहाई!
जो भी सुना वो गीत लगा....
मैं रात की आह समेट लाई!!
वो कर गए अँधियारा जहाँ, तमाम मेरा......
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!

एक जुगनू से भरी, वो रात प्रियतम बन मिले!
प्रेम सागर हिल उठा॥पर होंठ लज्जा से सिले!!
मौन नारी के समर्पण की गवाह,निशा बैरन बनी!
मूढ भला मैं क्या समझती,
कौन पथ पुष्प....तो कौन पथ कंटक मिले!!
रंग भरी मेरी चुनरिया.......
पल मैं सभी रंग लुटा आयी!
वो कर गए अंधियारा जहाँ, तमाम मेरा......
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!

मैं लडक-पन की कली,बिन नाथ फूलों सी खिली!
और बगीया इस जहाँ की...हर तूफ़ान निज-दम डटी रही!!
आँख के आंसू हंसी थे!जग ताने प्रशंशा की लदी!!
पर ह्रदय नारी का कोमल.....अंत दगा ही दे गया!
प्रेम के दो बोल सुन,लौह्ह का मन्दिर देह गया!!
लुट गया देवी भवन..........खँडहर दलालों मैं बेच आयी!
वो कर गए अँधियारा जहाँ, तमाम मेरा......
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!

घर की नारी मुझे है कोसती!
साधू-जन तिरिस्क्रित हैं करें!!
इन् मनुष्यों के जहाँ मैं!
दो हाथ नही, जो पीड़ा को हारें!!
दिन छाडे अँधियारा लिए....
हर रात रौशनी से नहाऊं!
जो कहें पापिन दिनों में....
रात उन्हें पापी बनाऊं!!
ख़ुद को देती मैं मिटा तो, कौन देता ये गवाही!
क्या कहानी रात की है आज मैं सबको सुनाऊँ!!

रात वो अंधियारी घनी, फ़िर न आए कभी!
जाग जाओ है मनुष्यों, मान लो मेरी कहाई!
वो कर गए अँधियारा जहाँ, तमाम मेरा......
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!


....एहसास!

6 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

अपनें मनोभावों को बखूबी अभिव्य्क्त किया है।बहुत सुन्दर!

रात वो अंधियारी घनी, फ़िर न आए कभी!
जाग जाओ है मनुष्यों, मान लो मेरी कहाई!
वो कर गए अँधियारा जहाँ, तमाम मेरा......
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!
और मैं अँधेरी काली रात की स्याह समेट लाई!!

रश्मि प्रभा... ने कहा…

raat wo andhiyaaree ghani, fir na aaye kabhee!
jaag jaao hai manushyon, maan lo meri kahayee!
wo kar gaye andhiyara jahaan, tamaam mera......
aur main andheri kaalee raat ki syaah samet laayee!!
andhere ki oot se jaagran geet,
nayi subah ka aahwaan........
bahut hi sundar , ehsaason ko salike se krambadhdh kiya hai
.............syaah raat bhi kuch alag si saj gai hai,
bahut sundar

!!अक्षय-मन!! ने कहा…

बहुत सुन्दर,
लगता है
सोती रात को जगा दिया
मायूसी को हंसा दिया
सुन्दर, दार्शनिक ये अपेक्षा मेरे bhaiyye से ही तो कर सकता हूं क्यूँकि इतना रस से रहित वोही तो है :)अक्षय-एहेसास

श्रद्धा जैन ने कहा…

shabdon ka chayan aur bhaav dekh kar prabhavit hote hain

Dr. Madhuri Lata Pandey (इला) ने कहा…

bahut sundar!
bhaavon ko badi khubsurati ke saath shabdon ki mala mein piroya hai......shubhkaamana

-Madhuri

Unknown ने कहा…

very nice blog...

http://shayrionline.blogspot.com/

धन्यवाद !

एहसासों के सागर मैं कुछ पल साथ रहने के लिए.....!!धन्यवाद!!
पुनः आपके आगमन की प्रतीक्षा मैं .......आपका एहसास!

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